जब जेल से विधायक बना हरियाणा का वो नेता
हरियाणा का सियासी मिजाज अनूठा है। यहां किस्से-कहानियां का कोई तोड़ नहीं। यहां की राजनीति में तल्खी और सख्त मिजाजी है तो एक अजब सी सहानुभूति भी अक्सर सामने आती है।
ऐसा ही सहानुभूति और अपनेपन का एक किस्सा जुड़ा है नागल विधानसभा क्षेत्र से। साल 1996 में हरियाणा विधानसभा के चुनाव हुए। उस चुनाव में एक शख्स ने जेल से आजाद उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा। यह शख्स इससे पहले विधायक भी रह चुका था और मंत्री भी। 1994 में मर्डर के एक झूठे मामले में जेल हो गई। कांग्रेस ने चुनाव में टिकट काट दिया। उस शख्स ने हिम्मत नहीं हारी।
हिम्मत हारते कैसे जनता उनके साथ खड़ी थी। सलाखों के पीछे से उस शख्स ने चुनाव के लिए पर्चा भरा। वो शख्स एकतरफा जीत गया। विरोधियों की जमानत जब्त हो गई। उस शख्स का नाम है निर्मल सिंह। नागल विधानसभा क्षेत्र से वे चार बार विधायक चुने गए। आज सियासी किस्सों की सीरिज में निर्मल ङ्क्षसह की ही कहानी पर नजर। निर्मल सिंह का जन्म 3 फरवरी 1953 को हुआ।
अम्बाला कैंट से उन्होंने गे्रजुएशन किया। वे चार बार हरियाणा विधानसभा के सदस्य रहे। 1982, 1991, 1996 और 2005 में नागल विधानसभा से विधायक चुने गए और कई बार मंत्री भी रहे। कांग्रेस से उन्होंने अपने सियासी सफर की शुरूआत की। साल 1976 से 1978 तक वे ब्लॉक युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। 1978 से 1980 तक वे युवा कांग्रेस अम्बाला के जिला प्रधान रहे।
इसी प्रकार से साल 1980 में वे युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बने। 1982 से लेकर 1989 तक रिकॉर्ड सात वर्षों तक निर्मल सिंह युवा कांग्रेस हरियाणा के प्रधान भी रहे। 1987 से 1989 तक वे हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे जबकि 2000 से लेकर 2005 तक वे जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। स्विङ्क्षमग, घुड़सवारी और किताबें पढऩे के शौकीन निर्मल ङ्क्षसह एक बाकमाल इंसान हैं। वे हरियाणा के पहले ऐसे नेता रहे जिन्होंने नौकरियों में भेदभाव के मसले को उठाया। अपने सियासी जीवन में कई कामयाब और ऐतिहासिक रैलियां करने का श्रेय भी निर्मल ङ्क्षसह को जाता है। 2002 में निर्मल ङ्क्षसह ने कुरुक्षेत्र में हिसाब लगाओ रैली का आयोजन किया गया।
इसके बाद 2004 में उन्होंने हिसाब चुकाओ रैली के जरिए अपनी ताकत दिखाई। अपने समर्थकों के बीच प्रधान जी के नाम से मशहूर निर्मल ङ्क्षसह के दरवाजे हर वक्त खुले रहते हैं। कांग्रेस में रहते हुए निर्मल सिंह राजीव गांधी के काफी करीबी रहे। युवा कांग्रेस के प्रधान के नाते वे पहले ऐसे नेता रहे जो भारत-चीन युद्ध के बाद चीन जाने वाले भारतीय दल के सदस्य थे।
राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद निर्मल ङ्क्षसह राजीव गांधी के साथ अमेरिका में भी गए। महज 33 साल की उम्र में साल 1986 में निर्मल ङ्क्षसह कैबीनेट मंत्री रहे। साल 1994 में हत्या के मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा। वे करीब अढ़ाई साल तक जेल में रहे। जेल से ही उन्होंने 1996 में आजाद उम्मीदवार के रूप में नागल विधानसभा से चुनाव लड़ा। निर्मल ङ्क्षसह के पक्ष में एकतरफा माहौल था। वे विधायक निर्वाचित हुए और अन्य सभी उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गईं। 1999 में निर्मल सिंह ने फिर से कांग्रेस में वापसी की। 2005 में निर्मल ङ्क्षसह फिर वे विधायक चुने गए। 2005 के चुनाव के बाद हुए परिसीमन के बाद निर्मल सिंह का हलका बदल गया। उन्होंने 2009 का चुनाव अम्बाला कैंट से लड़ा।