हरियाणा सरकार ने अपने सरकारी कर्मचारियों के लिए लोन और एडवांस सुविधाओं की सीमा में 14 साल बाद बढ़ोतरी की है। इस नए निर्णय से सरकारी कर्मचारियों को मकान निर्माण, शादी, वाहन और कंप्यूटर खरीदने के लिए अधिक वित्तीय सहायता मिल सकेगी। वित्त विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, इन सुविधाओं की सीमा में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आए हैं।
हरियाणा के सरकारी कर्मचारी अब अपने मकान निर्माण के लिए अधिकतम 25 लाख रुपये तक का एडवांस ले सकेंगे, जो कि पहले 20 लाख रुपये तक सीमित था। आवासीय एडवांस पर ब्याज दर जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) के समान रहेगी। एक बार मंजूरी मिलने के बाद, कुल राशि का 60% एडवांस दिया जाएगा, जो अधिकतम 15 लाख रुपये या 20 महीने के मूल वेतन के बराबर होगा। शेष राशि भूखंड पर घर का निर्माण शुरू होने के बाद दी जाएगी।
सरकारी कर्मचारी अपने बच्चों या आश्रितों की शादी के लिए अब 3 लाख रुपये तक का लोन ले सकेंगे। कर्मचारी इस एडवांस को अपने सेवाकाल में दो बार ले सकेंगे। यह राशि 10 महीने के मूल वेतन तक सीमित है। शादी के पहले एडवांस पर ब्याज दर सामान्य भविष्य निधि के समान होगी, जबकि दूसरी बार की लोन राशि पर ब्याज दर में 2% की वृद्धि होगी।
हरियाणा के सरकारी कर्मचारी अब वाहन खरीदने के लिए भी अधिक लोन ले सकेंगे। वेतन मैट्रिक्स में 45,000 रुपये और इससे अधिक पाने वाले कर्मचारी कार खरीदने के लिए योग्य माने जाएंगे। इन कर्मचारियों को अधिकतम 6.5 लाख रुपये या कार की वास्तविक कीमत का 85% लोन दिया जाएगा। पहली बार कार लोन पर ब्याज दर GPF के समान होगी, जबकि दूसरी बार की लोन पर 2% और तीसरी बार की लोन पर ब्याज दर में 4% की वृद्धि होगी।
सरकारी कर्मचारी अब कंप्यूटर और लैपटॉप खरीदने के लिए 50,000 रुपये तक का लोन ले सकेंगे। इस लोन पर ब्याज दर सामान्य भविष्य निधि के बराबर होगी। इसके अलावा, साइकिल खरीदने के लिए 4,000 रुपये या साइकिल की वास्तविक कीमत, जो भी कम हो, लोन दिया जाएगा।
कर्मचारी अपने सेवाकाल के दौरान किसी भी लोन सुविधा का लाभ केवल एक बार ले सकते हैं, जब तक कि वे नो ड्यू सर्टिफिकेट जमा न कर दें। यह नियम सुनिश्चित करेगा कि किसी भी कर्मचारी के पास बिना चुकाए हुए बकाया न हो।
हरियाणा सरकार के वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों, उपायुक्तों और उपमंडल अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया है कि कर्मचारियों को इस नई सीमा के अंतर्गत मिलने वाली सुविधाएं समय पर और पारदर्शिता के साथ प्रदान की जाएं।
इस कदम से हरियाणा के सरकारी कर्मचारियों को वित्तीय सहायता की दिशा में एक नई सुविधा प्राप्त होगी, जो उन्हें अपने जीवन से जुड़े विभिन्न खर्चों को पूरा करने में मदद करेगी। यह निर्णय न केवल कर्मचारियों के वित्तीय बोझ को कम करेगा बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सुधार लाएगा।