दूरदर्शन का अपना एक दौर था। साठ से लेकर नब्बे के दशक तक दूरदर्शन ही समाचार और मनोरंजन का जरिया था। संजीदगी, शब्दों का सटीक उच्चारण और लहजे की अपनी एक अहमियत थी। समाचार वाचन बड़े ही सभ्य और संजीदा अंदाज में आते थे। खबर खबर की तरह ही दिखाई जाती थी। न कोई शोर और न ही सनसनी। उस दौर में दूरदर्शन में कई लोकप्रिय एंकर थे, जिनकी स्मृतिया देखने वालों के जेहन में आज भी हैं। दूरदर्शन के इन लोकप्रिय चेहरों में कई महिला समाचार वाचिकाएं भी थीं। इनमें
इनमें सलमा सुल्तान, गीतांजलि अय्यर, अविनाश कौर सरीन और सरला माहेश्वरी के नाम लिए जा सकते हैं। इस कड़ी में आज हम आपको जानकारी देंगे लोकप्रिय समाचार वाचिका सलमा सुल्तान के बारे में।
अपने बाएं कान के नीचे बालों में गुलाब के साथ खबर प्रस्तुत करने का ट्रेंड उन्होंने बहुत प्रचलित किया। उनका साड़ी बांधने का तरीका-सलीका बाकमाल था। समाचार पढऩे की शैली बड़ी लाजवाब थी। तकनीक की कमियों और उन दिनों संसाधनों के अभाव के बीच भी सलमा सुल्तान ने एक खास पहचान कायम की। सलमा अपनी व्यक्तिगत शैली को प्रदर्शित करने वाली पहली समाचार एंकरों में से एक थी।
खासकर उस युग में जब स्टाइलिस्ट मौजूद नहीं थे। सुल्तान 60 के दशक में दूरदर्शन के साथ काम करते हुए एक घरेलू नाम बन गयी थी, जहां वह तीन दशकों तक काम करती रही। दूरदर्शन के मशहूर न्यूजऱीडर ने 1997 में टीवी न्यूज़ पढऩा बंद कर दिया। सलमा के न्यूज एंकर बनने की कहानी भी बड़ी दिलसच्प है। सलमा ने दिल्ली से एमए किया। इसके बाद किसी पारिवारिक सदस्य ने उन्हें टैलीविजन से जुडऩे को कहा। दूरदर्शन के खास कार्यक्रम तेजस्वनी में कुछ साल पहले दिए एक इंटरव्यू में सलमा ने अपने समाचार वाचिका बनने की कहानी सुनाई-आप भी सुनिए-बाइट दूरदर्शन
जाहिर है कि एक समाचार वाचिका के रूप में सलमा के कॅरियर का आगाज एकाएक हो गया। सलमा ने साल 1967 में एक अनाऊंसर के रूप में काम करना शुरू किया। इसके काफी समय बाद उन्हें अचानक ही समाचार वाचिका बनने का मौका मिला। उन दिनों एक मेल एंकर न्यूज पढऩा नहीं चाहते थे और ऐसा न हो इसलिए उन्होंने अपना सिर मुंडवा लिया। ऐसे में उस दिन सलमा को न्यूज पढऩे का मौका मिल गया। एक बार मौका मिला तो फिर करीब तीन दशक तक यह सफर जारी रहा। सलमा के चेहरे का नूर, उनकी शैली, शुद्ध उच्चारण ने उन्हें एक लोकप्रिय न्यूज एंकर बना दिया। सिनेमा की बजाय उन दिनों दूरदर्शन पर सलमा को देखने के लिए लोग शाम के बुलेटिन का इंतजार करते थे।
खास बात यह है कि उनका बालों पर गुलाब लगाने का अंदाज लोगों को पसंद आया। सलमा ने एक दिन गुलाबी साड़ी पहनी। अपने बगीचे से ङ्क्षपक कलर का गुलाब बालों में लगा दिया। इसी अंदाज में उस दिन समाचार वाचन किया। बाद में गुलाब नहीं लगाया तो लोगों के खत आने लगे। ऐसे में यह गुलाब सलमा के सिर का गहना बन गया। सलमा सुल्तान का जन्म 16 मार्च 1947 को हुआ 1987 से लेकर 1997 तक 30 वर्षों तक सलमा सुल्तान ने दूरदर्शन में एक न्यूज़ एंकर के रूप में काम किया था
सलमा का जन्म मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ सलमा के पिता मोहम्मद असगर अंसारी केंद्रीय कृषि मंत्रालय में सचिव के पद पर काम करते थे सलमा की बड़ी बहन मैमूना सुल्तान भोपाल से चार बार कांग्रेस की सांसद रह चुकी है 23 साल की उम्र में सलमा ने दूरदर्शन पर एक उद्घोषक के लिए ऑडिशन दिया ऑडिशन में उन्हें चयनित कर लिया गया उस समय दूरदर्शन में प्रतिमा पूरी और गोपाल कॉल न्यूज़ रीडर के रूप में जाने पहचाने चेहरे थे 15 सितंबर 1959 को सलमा ने दूरदर्शन पर न्यूज़ रीडर के रूप में काम करना शुरू किया साल 1965 में दूरदर्शन पर 5 मिनट का समाचार बुलेटिन शुरू किया गया अपनी ह्यड्डठ्ठद्भद्गद्ग1 की सटीक उच्चारण और पहनावे को लेकर सलमा न्यूज़ एंकर के रूप में एक खास पहचान कायम की उनका अपना एक खास अंदाज था
जिन्हें बॉलीवुड की अभिनेत्रियों ने भी फॉलो किया सलमा बेहद संजीदगी से और शब्दों के शुद्ध उच्चारण से समाचार पढ़ती थी 31 अक्टूबर 1984 को दूरदर्शन की शाम की खबरों में इंदिरा गांधी की हत्या की खबर भी सलमा सुल्तान ने पड़ी थी दूरदर्शन से रिटायरमेंट के बाद सलमा सुल्तान ने दूरदर्शन के लिए सामाजिक विषयों पर कई धारा धारावाहिक निर्देशित किए सलमान ए लेंस ब्लू प्राइवेट लिमिटेड नाम से अपना एक प्रोडक्शन हाउस बनाया उनके प्रोडक्शन हाउस ने पंचतंत्र सुनो कहानी स्वर मेरे तुम्हारे और जलते सवाल ने दर्शकों के बीच एक खास जगह कायम की साल 1989 में महाभारत के तुरंत बाद पंचतंत्र से का प्रसारण होता था इस धारावाहिक ने बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया