जल्द ही बज सकता है हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों का बिगुल
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। वोटर सूची बनने के बाद आपत्तियां एवं दावे आमंत्रित किए जाएंगे और फिर अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इन चुनावों को रास्ता अब साफ होता नजर आ रहा है और ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि चुनाव इसी साल दिसंबर में हो सकते हैं। मतदाता को वोट देने के लिए निर्धारित शर्तों को पूरा करना होगा जबकि कोई भी अमृतधारी मतदाता चुनाव में उम्मीदवार बन सकता है।
गौरतलब है कि हरियाणा में 22 सितंबर 2014 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एक्ट पास किया था और राज्यपाल ने अधिसूचना जारी की। इसके बाद पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियणा सरकार की ओर से हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का गठन करते हुए प्रदेश के 52 ऐतिहासिक गुरुद्वारों का प्रबंध कमेटी के हाथों में दे दिया।
सरकार की ओर से कमेटी में 41 सदस्यों को शामिल किया गया था। अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को लेकर लंबे समय से संघर्ष करने वाले अलग-अलग सिख नेता पिछले काफी समय से चुनाव करवाने की मांग करते आ रहे हैं। विशेष बात यह है कि शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भी चुनावों को लेकर पार्टी की राज्य इकाई के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं और चुनाव लडऩे के भी स्पष्ट संकेत दिए हैं। वहीं गुरुद्वारा चुनाव आयुक्त अब मतदाता सूची को लेकर सक्रिय हो गया है। इसको लेकर 16 अक्तूबर तक पंजीकरण करवाया जा सकता है।
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति की मतदाता सूची व नाकों के पंजीकरण के लिए प्रदेश के सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं। चुनावी तैयारी के लिए आवेदन पत्र ग्रामीण क्षेत्र में पटवारी के पास जबकि शहरी क्षेत्र में स्थानीय निकास के कार्यालय से लिए जा सकते हैं। गौरतलब है कि 40 सदस्यों के चुनाव होंगे और 9 सदस्य मनोनीत किए जाएंगे और इसके बाद अध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारी चुने जाएंगे। वहीं चुनाव आयुक्त की ओर से तीस चुनाव चिह्नों की सूची भी जारी कर दी है।
इससे यह संकेत मिलता है कि मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद चुनाव करवाए जा सकते हैं। शिरोमणि अकाली दल चुनाव लडऩे का संकेत दे चुकी हैं तो दीदार सिंह नलवी भी चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने की बात कह चुके हैं। इसके अलावा वर्तमान कमेटी के सदस्य भी चुनावी ताल ठोकने की तैयारी में हैं तो जगदीश ङ्क्षझडा जल्द ही अपने समर्थकों के साथ बैठक करेंगे।
2014 में अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का एक्ट हुआ था पास
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में पिछले कई दशकों से अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का गठन करने की मांग चली आ रही थी। पंजाब पुनर्गठन एक्ट के अंतर्गत हरियाणा में अलग यूनिवर्सिटी, अलग गुरुद्वार, अलग राजधानी, अलग हाईकोर्ट एवं सतलुज यमुना लिंक नहर बनाने का प्रावधान था। समझौते के अनुसार हरियाणा को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय मिल गया, लेकिन अलग कमेटी, राजधानी और हाईकोर्ट के मुद्दे अटके रहे। अलग कमेटी की मांग को लेकर दीदार सिंह नलवी, जगदीश सिंह झिंडा सहित सिख समुदाय के लोगों ने 23 दिसंबर 2000 को हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एडहॉक) का गठन किया था। इसको लेकर लंबी लड़ाई कमेटी ने लड़ी। इसके बाद 22 सितंबर 2014 को तत्कालीन कांग्रेस ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एक्ट पास किया और राज्यपाल ने अधिसूचना जारी कर दी। इसके बाद सरकार ने इसको लागू भी कर दिया, मगर व्यावाहरिक रूप से अलग कमेटी का स्वरूप न बन सका।
इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया और 20 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को अलग से कमेटी बनाने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की ओर से 2014 में बनाए गए गुरुद्वारा प्रबंधन एक्ट को ठीक बताते हुए एक्ट की संवैधानित को चुनौती देने वाली याचिकाओं को इंकार कर दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने एक 41 सदस्यीय कमेटी बनाते हुए महंत कर्मजीत को अध्यक्ष बनाया और इसके बाद ऐतिहासिक गुरुद्वारों का प्रबंध कमेटी को दे दिया गया।
इससे पहले तक हरियाणा के तमाम ऐतिहासिक गुरुद्वारों का प्रबंधन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से किया जाता था। हालांकि व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए महंत कर्मजीत अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं तो वहीं महंत कर्मजीत को अध्यक्ष बनाए जाने के बाद जगदीश ङ्क्षझडा और दीदार सिंह नलवी ने विरोध जताते हुए किनारा भी कर लिया था।
1920 में बनी थी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी
गौरतलब है कि गुरुद्वारों की प्रबंधन की शुरुआत ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी और 1920 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाई गई। उस समय कमेटी में 36 सदस्य थे। वर्तमान में 190 सदस्य शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में 170 निर्वाचित सदस्यों के अलावा 15 कोऑप्टेड सदस्य और 5 तख्त जत्थेदार है। वोटिंग का अधिकार निर्वाचित सदस्यों के पास होता है। 1920 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की स्थापना के 5 साल बाद 1925 में सिख समुदाय ने ब्रिटिश शासन के साथ जद्दोजहद करके गुरुद्वारा एक्ट पारित करने मायने में सफलता हासिल की। ब्रिटिश हुकूमत से गुरुद्वारा एक्ट पास करवाना आसान नहीं था। स्वर्ण मंदिर परिसर सहित कई प्रमुख गुरुद्वारों पर महंतों का नियंत्रण था, जो आसानी से हार नहीं मानने वाले थे। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को गुरुद्वारा से महंतों को बाहर करने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। यही कारण है कि गुरुद्वारा एक्ट बनने के बाद महात्मा गांधी ने इस उपलब्धि को आजादी की लड़ाई की पहली बड़ी जीत बताया था। उल्लेखनीय है कि हरियाणा में 52 ऐतिहासिक गुरुद्वार साहिब हैं। सबसे अधिक ऐतिहासिक गुरुघर साहिब अंबाला, सिरसा और कुरुक्षेत्र में हैं। पहले इन गुरुघरों का संचालन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी करती थी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के बाद हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का गठन किया गया था।