अभी तक ये नेता बने हैं उपमुख्यमंत्री
हरियाणा का अब तक का करीब साढ़े 58 वर्ष का राजनीतिक इतिहास बड़ा ही रोचक एवं अनूठा है। हरियाणा में अब तक छह राजनेता उपमुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं।
चौ. चांदराम हरियाणा के पहले उपमुख्यमंत्री बने थे। पंडित भगवत दयाल शर्मा की सरकार गिराने के बाद चांदराम उपमुख्यमंत्री बने और महज आठ महीने इस पद पर रहे। इसी तरह से डा. मंगलसैन, बनारसी दास गुप्ता व चंद्रमोहन बिश्नोई प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बने और वर्तमान में दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री हैं। खास बात यह है कि अब तक कोई भी राजनेता उपमुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है।
गौरतलब है कि 1 नवंबर 1966 को हरियाणा का गठन होने के बाद पंडित भगवत दयाल शर्मा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
हरियाणा गठन के पांच माह बाद ही राज्य में पहला डिप्टी सीएम बन गया था। वह चांदराम थे,जिन्होंने पहले सरकार उस समय देवीलाल, छोटूराम के भतीजे श्रीचंद और चांदराम भी कांग्रेस में थे। कैबिनेट मंत्री बनने का ख्याल पाले बैठे में चांदराम का नाम जब मंत्रिमंडल की सूची में नहीं आया तो वे नाराज हो गए।
1967 में दूसरी बार भगवत दयाल शर्मा मुख्यमंत्री बन गए और 12 दिन बाद जब स्पीकर के चुनाव का वक्त आया तो 17 कांग्रेसियों ने बगावत कर दी और कांग्रेस अपना स्पीकर नहीं चुन पाई। इस पर शर्मा को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद हरियाणा विशाल पार्टी के राव बीरेंद्र सिंह कांग्रेस के 17 विधायकों के सहयोग से सरकार बनाई और चांदराम प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री बने। चांदराम 24 मार्च 1967 से लेकर 2 नवंबर 1967 तक उपमुख्यमंत्री रहे।
इसी तरह से 1977 में आपातकाल के बाद भारतीय जनसंघ,भारतीय क्रांति दल, कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी और कांग्रेस-ओ को मिलाकर जनता पार्टी का गठन हुआ। चुनाव से पहले ही भारतीय क्रांति दल के नेता रहे चौधरी देवीलाल को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया गया था। प्रदेश की 90 सीटों में 75 सीटें जनता पार्टी के खाते में गई।
डा. मंगल सेन पांचवीं बार रोहतक से विधायक बने और वे जनसंघ के बड़े नेता थे। मंगलसैन भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और 21 जून 1977 से लेकर 28 जून 1979 तक 2 साल 71 दिन के लिए वे उपमुख्मंत्री रहे।
1987 में प्रदेश में भाजपा, लोकदल ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा। पूर्ण बहुमत आने पर चौधरी देवीलाल सीएम बने और बनारसीदास गुप्ता को डिप्टी सीएम बनाया गया। चूंकि चुनाव से कुछ समय पहले ही गुप्ता कांग्रेस छोडक़र देवीलाल से जुड़ गए थे, इसलिए उन्हें उपमुख्यमंत्री का पद इनाम में दिया गया। इसके अलावा गुप्ता प्रदेश के बड़े नेता भी थे।
वे 1975 में बंसीलाल के केंद्र में जाने के बाद 1977 तक कांग्रेस में रहते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे थे। गुप्ता 20 जून 1987 से लेकर 2 दिसंबर 1989 तक उपमुख्यमंत्री रहे थे। हरियाणा में चौथे उपमुख्यमंत्री 2005 में कांग्रेस शासन में चंद्रमोहन बने थे। इस दौरान कांग्रेस ने चौधरी भजन लाल के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था।
विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 67 सीटों पर जीत हासिल की और केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री पद के लिए तत्कालीन सांसद भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम की घोषणा कर दी। इस पर चौधरी भजन लाल ने न केवल विरोध किया, बल्कि उनके समर्थकों ने कई जगह आगजनी की, रोड जाम किए। ऐसे में कांग्रेस ने भजन लाल को शांत करने के लिए उनके बड़े बेटे चंद्रमोहन को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बावजूद नाराज भजन नहीं माने और उन्होंने अपनी अलग पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस बना ली। छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई तो उनके साथ चले गए लेकिन चंद्रमोहन कांग्रेस में ही रहे।
बाद में चंद्रमोहन के अनुराधा बाली से प्रेम प्रसंग,धर्म बदलकर विवाह करने आदि की वजह से उनकी डिप्टी सीएम की कुर्सी चली गई। वैसे चंद्रमोहन का कार्यकाल उपमुख्यमंत्री में सबसे लंबा रहा है। चंद्रमोहन 15 मार्च 2005 से लेकर 7 दिसंबर 2008 तक करीब 3 साल 267 दिन तक उपमुख्यमंत्री रहे।
सबसे नौजवान उपमुख्यमंत्री बने थे दुष्यंत चौटाला
विशेष बात यह है कि 27 अक्तूबर 2019 को दुष्यंत चौटाला साढ़े 31 वर्ष की उम्र में उपमुख्यमंत्री बने थे। दुष्यंत इस पर 3 साल 188 दिन से बने हुए हैं। दुष्यंत चौटाला ने 9 दिसंबर 2018 को जननायक जनता पार्टी का गठन किया था और 2019 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
तब चुनाव में भाजपा को 40 सीटों पर जीत मिली और भाजपा ने जजपा एवं कुछ आजाद विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई। गठबंधन की सरकार में दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।