छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, दिवाली के दिन से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है और इसे सौंदर्य, बल, आयु और धन प्राप्ति का पर्व माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों, कार्यालयों आदि जगहों पर दीप जलाकर प्रकाश फैलाते हैं।
पूजा का समय
दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। लेकिन छोटी दिवाली के दिन यमराज की पूजा का भी विशेष महत्व है। पूजा के लिए शुभ महूरत जानना आवश्यक है:
– चतुर्दशी तिथि:
– प्रारंभ: 30 अक्टूबर को दोपहर 1:15 बजे
– समापन: 31 अक्टूबर को 3:52 बजे
– अभ्यसन स्नान मुहूर्त:
– सुबह 5:02 से 6:32 बजे तक
– छोटी दिवाली का शुभ महूरत:
– शाम 4:36 से 6:15 बजे तक
विशेष पूजा विधियाँ
– तिल का तेल लगाकर स्नान: आज के दिन तिल का तेल लगाकर स्नान करने से शुभ लाभ प्राप्त होता है।
– पूजा के लिए देवताओं का चयन: यम देवता के अलावा भगवान श्री कृष्ण और हनुमान जी की पूजा करना भी बेहद शुभ माना जाता है।
– दीप जलाना: शाम को दीपक जलाकर मुख्य द्वार के दोनों तरफ रखने से माता लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं।
गायों की सेवा
छोटी दिवाली के दिन गायों की सेवा करना और उन्हें हरा चारा खिलाना भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
कुल देवी-देवताओं की पूजा
इस दिन कुल देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए और उनके साथ पितरों के नाम का भी दीपक जलाना चाहिए। मुख्य द्वार के दोनों कोनों पर तेल का दीपक जलाने से घर में लक्ष्मी का वास होता है।
बाजारों की रौनक
छोटी दिवाली के अवसर पर बाजारों में खास रौनक देखने को मिल रही है। लोग अपने घरों के बाहर जगमगाती हुई लाइटें लगा रहे हैं ताकि दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया जा सके।