अपराधी सेफ, महिलाएं खौफजदा
-2015 से लेकर 2021 तक हरियाणा में चेन स्नेङ्क्षचग की 3076 तो पर्स छीनने की 1409 वारदातें
हरियाणा में अपराधी बेखौफ हैं। लोग सुरक्षित नहीं हैं। अपराधी सरेराह और सरेबाजार में वारदात को अंजाम दे जाते हैं। पुलिस हाथ मलती रह जाती है। चिंतनीय पहलू यह है कि हरियाणा में नशे के चलते भी अब नई तरह की आपराधिक घटनाएं लगातार तेज होती जा रही हैं।
हरियाणा में अब चेन स्नैचिंग और पर्स छीनने की घटनाओं का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। महिलाएं बाजारों में निकलती हैं तो सहमी-सहमी नजर आती हैं। यहां तक कि घरों में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।
आए दिन हरियाणा के किसी ने किसी इलाके से चैन स्नैचिंग और पर्स छीनने की खबरें सामने आती रहती हैं। आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं। 2015 से लेकर साल 2021 तक हरियाणा में चेन छीनने की 3076, जबकि पर्स छीनने की 1,409 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। साल-दर-साल इन घटनाओं का ग्राफ ऊपर जा रहा है।
पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो दिल्ली के साथ सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे जिलों में चैन स्नैचिंग और पर्स छीनने की घटनाएं अधिक हो रही हैं। गुरुग्राम में 2015 में चेन स्नेचिंग की 169 वारदातें सामने आई। इसी तरह से 2016 में 104, 2017 में 87, 2018 में 83, 2019 में 57, 2020 में 36, 2021 में 69 चेन स्नेचिंग की घटनाएं गुडग़ांव में हो चुकी हैं। इसी तरह से फरीदाबाद में 2015 में 93, 2016 में 59, 2017 में 86, 2018 में 120, 2019 में 65, 2020 में 54, 2021 में 57 घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
नशा बना मुख्य कारण
पुलिस का यह भी मानना है कि नशा भी इस तरीके की वारदातों का मूल कारण बना हुआ है। हरियाणा में चिट्टा, चार्ली, म्याऊं म्याऊं के अलावा मैडीकल नशा बड़े पैमाने पर फैल चुका है। लाखों की संख्या में नौजवान नशे की दलदल में फंसे हुए हैं। नशे का यह एक आर्थिक गणित भी है कि नशेड़ी संगत में बैठकर नशे की लत सीखता है और फिर धीरे-धीरे इसका आदी हो जाता है चिट्टे का नशा काफी महंगा है। इसकी एक डोज हजारों रुपए में पड़ती है। ऐसे में जब घर से रुपए मिलने बंद हो जाते हैं तो नशेड़ी अपराध की दुनिया में कदम रखता है। ऐसे में सबसे पहले नशेड़ी किस्म के युवा महिलाओं के साथ छीना झपटी, चैन स्नैचिंग और पर्स छीनने की घटनाओं को अंजाम देते हैं।
मसलन सिरसा जिला नशे से सबसे प्रभावित इलाका है और यहां पर भी चेन स्नेचिंग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। 2015 में चैन स्नैचिंग 6, 2016 में 8, 2018 में 10 और 2019 में 14 घटनाएं सामने आई। इसी तरह से सिरसा जिला में 2016 में पर्स छीनने की 5, 2017 में 7, 2018 में 9, 2019 में 12 और 2021 में 10 वारदातें हो चुकी हैं।
ङ्क्षचता की बात यह है कि चैन स्नैचिंग और पर्स छीनने की घटनाओं के मामले में पुलिस जांच के नतीजे पर नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में बहुत कम मामलों में चालान पेश किए जाते हैं और जिन मामलों में चालान पेश किए जाते हैं उनमें भी पुलिस की आधी अधूरी जांच के चलते मामलों में आरोपियों को दोषी करार नहीं दिया जाता। आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं 2015 में चैन स्नैचिंग मामले में पुलिस ने 278 चालान पेश किए गए। इनमें 76 को दोषी करार दिया गया जबकि 126 मामले अंडर ट्रायल चल रहे हैं। 2016 में 214 मामलों में चालान पेश किया गया जिनमें से 75 अंडर ट्रायल हैं। 2017 में 186 चालान पेश किए गए 54 अंडर ट्रायल हैं। 2018 में 223 चालान पेश किए गए और इनमें अंडर ट्रायल हैं। 2019 में 123 चालान पेश किए गए और 103 अंडर ट्रायल हैं। 2020 में 110 चालान पेश किए गए, जिनमें से 107 मामले अंडर ट्रायल हैं।
सरेराह छीने जा रहे हैं पर्स
इसी तरह से पर्स छीनने की घटनाओं में भी पुलिस की जांच आधी अधूरी रहती है। 2015 में पुलिस ने 69 चालान पेश किए, जिनमें से 37 अंडर ट्रायल हैं। 2016 में 95 चालान पेश किए गए और 30 अंडर ट्रायल हैं। 2017 में 165 चालान पेश किए गए और 51 अंडर ट्रायल हैं। 2018 में 163 चालान पेश किए, जिनमें 37 को दोषी करार दिया गया जबकि 51 मामले अंडर ट्रायल है। 2019 में 127 चालान पेश किए गए। 16 मामलों में दोषी करार दिया गया तो 90 अभी अंडर ट्रायल हैं 2020 में 77 में से 71 मामले अंडर ट्रायल हैँ, जबकि 2021 में 81 चालान पेश किए गए और 81 मामले अंडर ट्रायल चल रहे हैं।
ऐसे बढ़ रहा है ग्राफ
वर्ष चेन स्नेङ्क्षचग पर्स स्नेङ्क्षचग
2015 605 132
2016 511 155
2017 452 238
2018 502 287
2019 341 242
2020 289 154
2021 376 201