भाई दूज Bhai Dooj : भाई दूज का पर्व इस बार गौतम बुद्ध नगर जिला कारागार में खास धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जेल में बंद बंदियों से मिलने के लिए उनकी बहनें और परिजन पहुंचे, जिन्होंने भावुक माहौल में अपने भाइयों के लिए लंबी उम्र और खुशहाली की कामना की। कई भाई-बहन वर्षों बाद मिल पाए, जिससे माहौल में एक खास भावुकता और खुशी की लहर दौड़ गई।
जेल अधीक्षक बृजेश कुमार ने बताया कि पूर्व वर्षों की तरह इस बार भी सुबह 8 बजे से भाई दूज के पर्व पर बंदियों और उनके परिजनों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं। महिला मुलाकाती बहनों को अपने भाइयों के टीका और पूजन के लिए सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई गई। बहनों ने बड़े आदर और भावुकता के साथ अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाया और उनकी लंबी उम्र की कामना की।
कारागार परिसर में सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था की गई थी। पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर लगभग 45 पुलिस अधिकारी, कर्मचारी और डेढ़ सेक्शन पीएसी की टीम को तैनात किया गया था ताकि सुरक्षा में कोई कमी न रहे और भाई दूज का आयोजन शांति और सौहार्दपूर्ण ढंग से हो सके।
कारागार में पहुंचने वाली महिला मुलाकाती बहनों के लिए सुविधाजनक इंतजाम किए गए। रोटरी क्लब ग्रेटर नोएडा के मुकुल गोयल, विकास गर्ग, अंकित अग्रवाल और आदित्य अग्रवाल के सौजन्य से मुलाकाती महिलाओं और बच्चों के लिए चाय, बिस्कुट और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई। इसके साथ ही, स्वयंसेवी निशांत एडवोकेट और सुमित कसाना द्वारा जेल परिसर के बाहर केले और पेयजल की सुविधा भी प्रदान की गई।
कारागार प्रशासन ने बंदियों और उनके परिजनों के लिए बैठने की पर्याप्त व्यवस्था की थी। टेंट, दरियां, कुर्सियां और साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की गई ताकि मुलाकाती महिलाओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। इस अवसर पर जेल अधीक्षक बृजेश कुमार, कारापाल राजीव कुमार सिंह और अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित रहे और आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया।
इस विशेष अवसर पर करीब 3075 महिलाएं और बच्चे अपने बंदी भाइयों से मिलने पहुंचे। उन्होंने भावुकता के साथ भाई दूज का तिलक किया और उनसे मिलने का सुखद अनुभव साझा किया। इस मुलाकात के दौरान कई भाई-बहन रोते हुए देखे गए, जो अपने परिजनों से वर्षों बाद मिल रहे थे।
रोटरी क्लब ग्रेटर नोएडा की ओर से मुकुल गोयल, कपिल गुप्ता और कपिल गर्ग जैसे समाजसेवी भी इस आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल हुए और सुविधाओं को उपलब्ध कराने में मदद की। उनके योगदान से बंदियों और उनके परिजनों के बीच भाई दूज का पर्व सुगमता से संपन्न हो सका।
भाई दूज का यह पर्व सिर्फ जेल परिसर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि समाज में प्रेम और सद्भाव का संदेश फैलाने में भी सफल रहा। यह आयोजन यह साबित करता है कि भाई-बहन का प्रेम किसी भी बंधन से परे होता है और पर्व-त्योहार सभी के लिए विशेष होते हैं, चाहे वे कहीं भी हों।
जेल प्रशासन के प्रयासों और स्वयंसेवियों के सहयोग से यह आयोजन न केवल बंदियों के मनोबल को बढ़ाने में सफल रहा, बल्कि उन्हें समाज के साथ जोड़ने और सकारात्मकता का संदेश देने का माध्यम भी बना। यह आयोजन जेल में कैदियों के लिए एक नया उमंग लेकर आया और उनके मनोबल को ऊंचा किया।