बालासर फार्महाऊस को अपना दूसरा घर मानते थे बादल
-लंबे समय से ढाणी लहरांवाली के पूर्व सरपंच अमरजीत सिंह फार्महाऊस की करते रहे देखरेख
-फार्महाऊस पर नवाज शरीफ की ओर से दी गई पाकिस्तानी भेड़ें भीसिरसा, 3 मई (नवदीप सेतिया): गांव बादल के बाद पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल सिरसा जिला के गांव बालासर में स्थित अपने फार्महाऊस को अपना दूसरा घर मानते थे। इस फार्महाऊस में वे अक्सर आते थे और कई बार तो एक-एक महीने तक यहां रहते थे। खास बात यह है कि सरदार प्रकाश सिंह बादल के साथ 1996 से संपर्क में आए ढाणी लहरांवाली के पूर्व सरपंच अमरजीत सिंह उनके फार्महाऊस की देखरेख करते थे और खेतीबाड़ी संबंधी सारा काम संभालते रहे हैं। खास बात यह है कि अमरजीत सिंह उनके सबसे खास विश्वासपात्रों में शुमार रहे और अपने जीवन के करीब अंतिम 6 से 7 वर्ष में से अधिकांश समय फार्महाऊस पर ही बीता और जब बड़े बादल साहब फोर्टिज अस्पताल में दाखिल थे, तब भी उन्होंने अमरजीत सिंह से फोन पर बातचीत की। फार्महाऊस पर मौसमी, चिकू, आम, आंवला, मिठा, आचारी नींबू, बेर, आडू, आलू बुखारा, किन्नू, संतरा, ग्र्रे फु्रट, अमरुद व केले के बाग हैं।
दरअसल सिरसा के बालासर गांव में सरदार प्रकाश् सिंह बादल के खेत हैं। यहीं पर उन्होंने फार्महाऊस बना रखा है। अक्सर बड़े बादल यहां पर आते थे। बालासर में स्थित जमीन सरदार प्रकाश सिंह बादल के ननिहाल पक्ष की जमीन थी जो उनके नाना ने उन्हें दी थी। ढाणी लहरांवाली के सरपंच अमरजीत सिंह सरदार प्रकाश सिंह बादल के भरोसेमंद रहे हंै और वे इस फार्महाऊस की देखरेख करते रहे हैं। दरअसल सरदार अमरजीत सिंह की पत्नी के ननिहाल गांव बादल में है और साल 1996 वे सरदार प्रकाश सिंह बादल के संपर्क में आए। अक्सर मुलाकात होती रही और बाद में फार्महाऊस की देखरेख का जिम्मा उन्होंने सरदार अमरजीत सिंह को दे दिया।
फार्महाऊस पर सभी तरह का लेन-देन संबंधी कामकाज वे ही संभालते रहे हैं और हर रोज करीब 8 से 10 बार उनकी फोन पर बड़े बादल साहब से बातचीत होती थी। वे उन्हें अपना परिवार का सदस्य ही मानते थे और यही वजह है कि वे हर तरह के विचार अमरजीत सिंह से सांझा करते थे। कभी-कभी फूर्सत में वे हंसी-मजाक भी करते थे और अक्सर अपने बाग में टहलते थे। सरदार अमरजीत सिंह बताते हैं कि वे अपने बाग और फार्महाऊस से बेहद लगाव करते थे और अपने अंतिम समय तक भी वे जब बालासर फार्महाऊस पर आते थे तो खुद बागों व पौधों की सार-संभाल लेते थे। इसके अलावा वे जब फार्महाऊस पर नहीं होते थे तो फोन पर वीडियो काल के जरिए भी अपने बाग, पौधों एवं पशुओं को लेकर चिंतित रहते थे। खास बात यह है कि फार्महाऊस पर पाकिस्तानी भेड़ भी रखी हुई, जो उन्हें पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की ओर से दी गई थी। इन पशुओं से उनका विशेष लगाव रहा। अमरजीत सिंह बताते हैं कि अफगानिस्तानी बकरी भी रखी हुई है।
चौ. देवीलाल को राजनीति में करवाई वापसी
सिरसा जिला की सीट रोड़ी पर 1975 के फरवरी में उपचुनाव होना था। रोड़ी उपचुनाव में बादल के कहने पर देवीलाल ने पर्चा भर दिया। देवीलाल सियासी संघर्ष के साथ उन दिनों आर्थिक रूप से भी कमजोर पड़ गए थे। चुनाव लडऩे के लिए तब प्रकाश सिंह बादल ने देवीलाल को खाली चैक बुक दे दी। इसके साथ ही बादल ने देवीलाल को नगद पैसे दिए। इसके बाद किसानी के मुद्दे को लेकर देवीलाल प्रदेश के कोने-कोने में गए। देवीलाल ने आंदोलन चलाया। इसी दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
काफी समय तक अंबाला की जेल में रहे। 4 अक्तूबर 1973 को देवीलाल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर जेल से रिहा किया गया। हरकिशन कम्बोज के निधन के बाद 1975 में रोड़ी में उपचुनाव हुआ। रोड़ी के उपचुनाव में ताऊ देवीलाल ने कांग्रेस के खिलाफ विपक्ष के उम्मीदवार थे। खुद चौधरी चरण सिंह ने देवीलाल की मदद की। भारतीय लोकदल का समर्थन उन्हें था। प्रकाश सिंह बादल ने तो उन्हें अपनी खाली चैक बुक देते हुए कहा कि चौधरी साहब जितने पैसे चाहिएं आप ले लें। ये वो दौर था जब जनसंघ के मंगलसैन भी देवीलाल के समर्थन में आए।
देवीलाल ने रोड़ी का उपचुनाव जीता। जून 1975 से जनवरी 1977 तक इमरजैंसी में देवीलाल और प्रकाश सिंह बादल दोनों 19 महीने जेल में रहे। 1977 के विधानसभा चुनाव में देवीलाल के नेतृत्व में जनता दल ने 90 में से 75 सीटों पर जीत दर्ज की। 21 जून 1977 को देवीलाल पहली बार मुख्यमंत्री बने। उधर, पंजाब में अकाली दल को जीत मिली और प्रकाश सिंह बादल सीएम बने। बादल और ताऊ की यह दोस्ती का सफर ऐसे शुरू हुआ और फिर दोनों पगड़ी बदल भाई भी बने। इसके बाद तो बादल और देवीलाल ने मिलकर तीसरा मोर्चा भी बनाया।
इनैलो के साथ रहा अकाली दल का गठबंधन
इनैलो व अकाली दल का रिश्ता इतना मजबूत था कि दोनों दलों ने हरियाणा में 2009 और 2014 का विधानसभा चुनाव भी लड़ा। 2009 के चुनाव में इंडियन नैशनल लोकदल के साथ शिरोमणि अकाली दल ने चुनावी गठबंधन किया। अम्बाला सिटी एवं कालांवाली हलकों से शिअद ने अपने उम्मीदवार उतारे। कालांवाली से शिअद के चरणजीत सिंह रोड़ी ने 59064 वोट हासिल करते हुए 12544 वोटों से जीत हासिल की। अम्बाला सिटी से शिअद की उम्मीदवार बीबी चरणजीत कौर को 33 हजार 885 वोट मिले और वे दूसरे स्थान पर रहीं। 2014 के चुनाव में शिअद ने कालांवाली से फिर जीत हासिल की। इस चुनाव में कालांवाली से बलकौर सिंह ने 54112 वोट हासिल करते हुए 12 हजार 965 वोटों से जीत हासिल की। अम्बाला सिटी से शिअद के उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई। अम्बाला सिटी से बलविंद्र सिंह को महज 22 हजार 763 वोट ही मिले। पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल और उनके पारिवारिक सदस्यों का सिरसा से खास लगाव रहा है। चौधरी देवीलाल और प्रकाश सिंह बादल पगड़ी बदल भाई थे। बादल और चौटाला परिवार के सदस्य आज भी राजनीतिक मंचों के अलावा एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते हैं।