जब पुलिस कप्तान ने खेतों में आतंकवादियों को करवाया ‘लूंगी डांस’
सर्द मौसम में सिरसा की सियासत में गर्माहट का आलम है। संसदीय चुनावों को लेकर सियासी शतरंज पर शह-मात का खेल जारी है। विशेष बात यह है कि संसदीय चुनावों को लेकर पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी वी. कामाराजा भी अब एक्टिव मोड में आ गए हैं।
पिछले करीब एक माह से वे सिरसा में डेरा डाले हुए हैं। अब तक करीब 70 से अधिक गांवों में दस्तक दे चुके हैं। वे भारतीय जनता पार्टी से टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। 2019 के चुनाव में भी भगवा पार्टी से टिकट मांगी थी।
तब पूर्व आई.आर.एस. अधिकारी सुनीता दुग्गल को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा था और सुनीता दुग्गल ने कांग्रेस प्रत्याशी डा. अशोक तंवर को 3 लाख 9 हजार वोटों के अंतर से पराजित किया था। कामराजा ने हुडा सैक्टर 20 में वही 449 नंबर कोठी किराये पर ली है, जिस पर सांसद सुनीता दुग्गल किराये पर रहती थीं। इन सबके बीच सियासी विश£ेषक मानते हैं कि सिरसा से करीब 2500 किलोमीटर दूर तमिलनाडू से यहां पर कामराजा का सियासी तौर पर सक्रिय होना और अपना ठिकाना बनाने के पीछे कोई बड़ी वजह तो है ही।
दरअसल आज से करीब 34 साल पहले कामराजा सिरसा के पुलिस कप्तान थे। बात साल 1991-92 की है जब पड़ौसी राज्य पंजाब में आतंकवाद का गहरा साया छाया हुआ था। पंजाब की सीमा से सटे हरियाणा के सिरसा जिले में आतंकवादियों ने गोलियों की बौछार करके 14 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। मामला बेहद संगीन था और लोग दहशत में थे।
उस समय पर हरियाणा के पुलिस महानिदेशक ने वी. कामराजा को सिरसा के पुलिस अधीक्षक की कमान सौंपी। कामराजा अपनी सरकारी कोठी पर भोजन कर रहे थे। दक्षिण भारतीय पहनावे लूंगी में थे। आतंकवादियों को ढेर करने के मकसद से लूंगी पहनते हुए वे गांव थिराज में पहुंचे।
ङ्क्षसघम स्टाइल में खेतों में दो आतंकवादियों को ढेर कर दिया। इसके बाद उनकी हत्या की साजिशें अनेक बार रची गईं और चार बार उन पर जानलेवा हमले किए गए जिसमें ए के 47 आटोमेटिक बंदूकों का इस्तेमाल करते हुए उन पर फायरिंग की गई लेकिन वे किसी तरह से बच निकले। सिरसा जिले के सीमावर्ती गांवों में आतंकवादियों के ठिकानों को नेस्तानाबूद करने की बात हो या फिर उनके नैक्सस को तोडऩे की, वी. कामराजा ने हर जगह कामयाबी हासिल की।
इसके साथ ही नशे के कारोबार की कमर तोडऩे में भी वी. कामराजा ने अहम भूमिका निभाई। करीब 33 साल पहले सिरसा जिले में शांति स्थापित करने और लोगों को दहशत के साए ये बाहर निकालने का परिणाम यह रहा कि वी. कामराजा ने लोगों के दिलों में अपनी अलग जगह स्थापित कर ली, एक ऐसा स्थान जिसे लोग तीन दशक का लंबा अर्सा बीतने के बाद भी न भुला पाए और न दिल से निकाल पाए।