बनना चाहते थे क्रिकेटर, विरासत संभालने को सियासत में आ गए भव्य
हरियाणा की राजनीति में लाल परंपरा का एक लंबा और रोचक इतिहास रहा है। इसी परंपरा के एक किरदार रहे चौधरी भजनलाल। यह लाल परिवार फिर एक बार सुॢखयो में है। भव्य बिश्रोई बनना तो क्रिकेटर चाहते थे, पर उन्हें सियासत में आना पड़ा।
लंदन में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए उन्होंने क्रिकेट में कई कमाल किए। यूनिवर्सिटी की ओर से खेलते हुए लाजवाब और बाकमाल प्रदर्शन किया। भव्य का छोटा भाई चैतन्य प्रोफेशनल क्रिकेटर हैं। चैतन्य आईपीएल में चैन्नई सुपर ङ्क्षकग के अलावा हरियाणा की रणजी टीम का हिस्सा रहे हैं। भव्य की बहन सिया प्रोफेशनल डिजाइनर हैं। भव्य को अपने दादा की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने के लिए राजनीति में आना पड़ा। विदेश से लौटने के बाद भव्य ने राजनीति में कदम रखा। गलोबल सिटीजन इंडिया संस्था का गठन किया। इसके साथ ही उन्होंने भजनलाल लाल गलोबल इम्पैक्ट फाऊंडेशन का गठन किया। 2019 के लोकसभा चुनाव में हिसार से चुनाव लड़ा।
भव्य बिश्रोई का जन्म 16 फरवरी 1993 को हिसार में हुआ। उन्होंने गुडग़ांव के श्रीराम स्कूल
से अपनी स्कूङ्क्षलग की। लंदन स्कूल ऑफ इकानॉमिस से बीएससी करने के बाद यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड से एमएससी किया। फस्र्ट क्लास क्रिकेट में यूनिवर्सिटी की तरफ से खेले। अपनी संस्था के जरिए समाजसेवा से भी जुड़े हुए हैं।
मई 2019 में हिसार सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा। हिसार सीट से करीब 1 लाख 84 हजार वोट मिले। मोदी लहर के बीच इस चुनाव में हिसार सीट से चौधरी बीरेंद्र ङ्क्षसह के बेटे बृजेंद्र ङ्क्षसह ने करीब 3 लाख 14 हजार वोट के अंतर से जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला को हराया। भव्य तीसरे स्थान पर रहे। अब भव्य उपचुनाव के मैदान में उतरते हैं तो वे भजनलाल परिवार के पांचवें ऐसे सदस्य होंगे जो उपचुनाव लड़ेंगे। भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्रोई 1993 में कालका से, छोटे बेटे कुलदीप 1998 में आदमपुर से, खुद भजनलाल 2008 में आदमपुर से तो रेणुका बिश्रोई 2011 में आदमपुर से उपचुनाव जीत चुकी हैं। इनमें से चंद्रमोहन, कुलदीप और रेणुका तो पहली बार उपचुनाव जीतकर ही हरियाणा विधानसभा के सदस्य बने थे।
जब उपचुनावों के जरिए पहली बार बने विधायक
चौधरी भजनलाल ने अपने दोनों बेटों चंद्रमोहन बिश्रोई और कुलदीप बिश्रोई दोनों को ही उपचुनावों के जरिए सियासत में एंट्री करवाई थी। 1993 में कालका से कांग्रेस के तत्कालीन विधायक पुरुषभान के निधन के बाद यहां पर उपचुनाव हुआ। चौधरी भजनलाल उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। भजनलाल ने अपने बड़े बेटे चंद्रमोहन को उपचुनावी मैदान में उतारा। चंद्रमोहन ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की और उसके बाद उन्होंने कालका को ही अपनी कर्मभूमि बना लिया। इसके बाद चंद्रमोहन 1996, 2000 और 2005 में लगातार यहां से विधायक चुने गए। इसी तरह से साल 1998 में कांग्रेस हाईकमान ने चौधरी भजनलाल को राज्यसभा का सदस्य बनाते हुए केंद्र में मंत्री बना दिया। ऐेसे में भजनलाल को आदमपुर विधानसभा सीट से त्यागपत्र देना पड़ा। आदमपुर में उपचुनाव हुआ। भजनलाल ने इस उपचुनाव में अपने छोटे बेटे कुलदीप बिश्रोई को उतारा। तीस साल के कुलदीप ने भी बड़े अंतर से जीत दर्ज की और वे पहली बार उपचुनाव जीतकर विधायक बने।
इसी प्रकार से साल 2011 में चौधरी भजनलाल के निधन के बाद हिसार लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। आदमपुर सीट से त्यागपत्र देने के बाद कुलदीप ने हिसार से उपचुनाव लड़ा और इनैलो के डा. अजय ङ्क्षसह चौटाला को पराजित किया। ऐसे में आदमपुर में उपचुनाव हुआ। कुलदीप ने अपनी पत्नी रेणुका बिश्रोई की राजनीति में एंट्री करवाई और 2011 में रेणुका आदमपुर से विधायक चुनी गईं। अब भव्य को उपचुनाव के मैदान में उतारने की तैयारी है।
राजपुत्रों की रही है चौधर
बता दें कि हरियाणा में तीन लाल परिवारों के तमाम राजपुत्र राजनीति में सक्रिय हैं। चौधरी देवीलाल की चौथी पीढ़ी से दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री हैं और हिसार से सांसद रह चुके हैं। दिगिवजय चौटाला जजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं। जनवरी 2019 में जींद से उपचुनाव और मई 2019 में सोनीपत से लोकसभा का चुनाव दिगिवजय लड़ चुके हैं। इसी तरह से अभय ङ्क्षसह चौटाला के बेटे कर्ण चौटाला जिला परिषद सिरसा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं, जबकि अर्जुन चौटाला 2019 में कुरुक्षेत्र सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। चौधरी बंसीलाल की पौती श्रुति चौधरी भिवानी से सांसद रह चुकी हैं।