देव ऋषि नारद यमराज के पास गए और उनसे कहा कि हे यमराज आप तो नरक और मृत्यु के स्वामी हैं। आप व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार दंड और फल देते हैं, लेकिन आज मैं आपके पास एक सवाल लेकर आया हूं। इसके बाद देवर्षि नारद मुनि यमराज से कहते हैं कि शास्त्रों के अनुसार एक पुरुष को केवल एक स्त्री के साथ शादी करनी चाहिए और उससे ही संबंध बनाने चाहिए, लेकिन आपने देखा होगा कि कुछ लोग अनेक विवाह करते हैं और अनेक स्त्रियों के साथ संबंध बनाते हैं तो क्या ये पाप है? क्या इसकी वजह से उस व्यक्ति को मरने के बाद नरक में जाना पड़ता है? आप ऐसे लोगों को क्या दंड देते हैं, और अगर किसी ने इस प्रकार के पाप किए हैं तो वह किस प्रकार से इससे छुटकारा पा सकता है।
यमराज का जवाब जान हो जाएंगे हैरान
यमराज ने देवर्षि नारद को दिया जवाब. यमराज कहते हैं कि हे नारद एक पुरुष दूसरा विवाह कर सकता है, लेकिन उसमें उसकी पत्नी की रजामंदी होनी चाहिए। अगर पत्नी अपने पति को दूसरा विवाह करने की इजाजत देती है, तो ऐसे में व्यक्ति दूसरा विवाह कर सकता है और उसे पाप भी नहीं लगता है। शास्त्रों में भी बताया गया है कि अगर किसी पुरुष को पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही है और उसकी पत्नी उसे दूसरा विवाह करने की इजाजत देती है ताकि उन्हें संतान की प्राप्ति हो सके। तो इस परिस्थिति में व्यक्ति को पाप नहीं लगता है।
देव ऋषि नारद यमराज के प्रश्न से संतुष्ट हुए लेकिन उनके मन में एक और प्रश्न था क्या पराई स्त्री के साथ दुर्व्यवहार करने वाला इस पृथ्वी पर दोबारा जन्म लेता है, और उसे किस प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं.
इस प्रश्न का जवाब देते हुए यमराज कहते हैं व्यभिचार जैसा घिनौना कृत करता है उसे जीते जी तो कष्ट भोगना ही पड़ता है और मरने के बाद भी उसे नरक में ऐसी ऐसी यातनाएं सहनी पड़ती है जिसे भोगने के बाद पापी आत्मा रुदन करता है और अपने कर्मों पर पश्चाताप करता है। इस प्रश्न का जवाब देते हुए यमराज आगे बताते हैं ऐसे मनुष्य को बिना किसी देरी के नरक भेज दिया जाता है। फिर उसे लोहे से बने स्त्री को गरम करके उसका आलिंगन कराया जाता है। वह उस गरम प्रतिमा से तब तक बंधा रहता है जब तक वह दुबारा ठंडा नहीं हो जाता। ऐसी आत्मा के साथ ये प्रक्रिया सकारों वर्षों तक अनवरत चलती रहती है। फिर उसके बाद उसे कई योनियों में जन्म लेना पड़ता है। इस तरह लाखों साल बाद वह दुबारा मनुष्य कि योनि में जन्म लेता है।