हरियाणा सरकार ने राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी घोषणा की है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में सरकार ने यह निर्णय लिया है कि स्वतंत्रता सेनानियों की मृत्यु के बाद उनकी बेरोजगार विधवा और तलाकशुदा बेटियों को भी राज्य सम्मान पेंशन का लाभ मिलेगा। यह निर्णय उन परिवारों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से लिया गया है, जो किसी भी प्रकार की आय के अभाव में आर्थिक कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
हरियाणा सरकार द्वारा जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, स्वतंत्रता सेनानियों या उनकी धर्मपत्नी की मृत्यु के उपरांत उनकी बेरोजगार अविवाहित बेटी, विधवा और तलाकशुदा बेटियां भी पेंशन प्राप्त कर सकेंगी। हालांकि, इसके लिए यह शर्त होगी कि लाभार्थी की आय का कोई अन्य स्रोत न हो। यह कदम उन परिवारों के आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करेगा, जिनके पास आय का कोई साधन नहीं है।
सरकार ने दिव्यांग बेरोजगार पुत्रों के लिए भी पेंशन योजना में संशोधन किया है। 75% तक दिव्यांगता वाले अविवाहित बेरोजगार पुत्र को भी इस योजना का लाभ दिया जाएगा। यदि स्वतंत्रता सेनानी के एक से अधिक पुत्र पात्र हैं, तो पेंशन में सभी को समानुपातित हिस्सा दिया जाएगा। इस पहल के माध्यम से सरकार ने दिव्यांगता के कारण आय से वंचित रहने वाले परिवार के सदस्यों के लिए एक सुरक्षित आर्थिक भविष्य सुनिश्चित किया है।
हरियाणा सरकार ने 12 जून 2009 को जारी दिशा-निर्देशों में संशोधन करते हुए पेंशन के दायरे में यह परिवर्तन किया है। पहले यह पेंशन केवल स्वतंत्रता सेनानी की विधवा पत्नी या उनके परिवार के अन्य पात्र सदस्यों तक सीमित थी। अब बेरोजगार अविवाहित बेटियों, विधवा और तलाकशुदा बेटियों को भी इस श्रेणी में शामिल किया गया है, जिससे पेंशन पाने वाले लोगों का दायरा और भी विस्तृत हो गया है।
हरियाणा के मुख्य सचिव कार्यालय के सामान्य प्रशासन विभाग ने इस बारे में एक परिपत्र जारी किया है। यह परिपत्र सभी मंडलायुक्तों, उपायुक्तों और उप-मंडल अधिकारियों को भेजा गया है, जिसमें मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करते हुए नई योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सरकार का मानना है कि यह निर्णय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान की सराहना और उनके परिजनों की देखभाल का प्रतीक है।