हरियाणा के करनाल में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण ने लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालना शुरू कर दिया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के साथ ही सांस और दमा के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक, इस बढ़ते प्रदूषण के कारण अस्पतालों में सांस और आंखों में जलन के मरीजों की तादाद में भी भारी वृद्धि देखी जा रही है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 के पार, स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ा
हरियाणा के 9 शहरों में AQI का स्तर 500 तक पहुंच गया है, जिससे हिसार और कुरुक्षेत्र समेत करनाल भी प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हैं। वातावरण में ठंड और दोपहर की गर्मी के बीच के उतार-चढ़ाव ने लोगों के स्वास्थ्य पर और भी नकारात्मक प्रभाव डाला है। जिला नागरिक अस्पताल के सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप ने बताया कि दिवाली के बाद अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। लोगों को सांस संबंधी समस्याओं, गले में खराश, खांसी और जुकाम की शिकायतें हो रही हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है।
दिवाली पर प्रदूषण में भारी इजाफा
दिवाली के दौरान आतिशबाजी और पटाखों के कारण प्रदूषण का स्तर और भी अधिक बढ़ गया है। दिन में मौसम साफ रहता है, लेकिन शाम होते ही स्मॉग और धुंध का घना कोहरा छा जाता है, जो वाहनों के आवागमन में परेशानी का कारण बनता है। इस स्मॉग की धुंध ने न केवल वाहनों की दृश्यता को कम कर दिया है बल्कि लोगों को सांस लेने में भी कठिनाई पैदा कर दी है। लगातार धुंध के कारण आंखों में जलन की समस्या भी बढ़ रही है, जिससे नेत्र रोग विशेषज्ञों के पास मरीजों की संख्या में 50 फीसदी तक वृद्धि देखी गई है।
जहरीली हवा से सांस और दमा के मरीज परेशान
सांस और दमा के मरीजों को इस जहरीली हवा के कारण अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। विशेष रूप से बुजुर्ग दमा के मरीज इनहेलर का उपयोग करने के बावजूद राहत महसूस नहीं कर रहे हैं। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि लोग जब भी घर से बाहर निकलें, मास्क का इस्तेमाल करें और अपनी सुरक्षा के लिए घर के अंदर भी हवा की गुणवत्ता का ध्यान रखें। सांस रोग विशेषज्ञों के अनुसार, घर से बाहर निकलते समय मुंह को ढकने से कुछ हद तक प्रदूषकों से बचा जा सकता है, जिससे सांस की दिक्कतों में राहत मिलेगी।